Shiv Nandi Katha | देवों के देव महादेव है भोले शंकर. हिंदू पुराणों के अनुसार शिव ही एक ऐसे देवता है जो अपने भक्तों की पूजा अर्चना से बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. भगवान भोले शंकर की वेशभूषा सबसे भिन्न और निराली है. भगवान भोले शंकर के वाहन है नंदी महाराज. पुराणों के अनुसार नंदी के पिता शिलाद ऋषि है. नंदी को भगवान शिव से मिला था वरदान की जब भी कोई उनके भक्त उनके दर्शन करने आएगा तो सबसे पहले उसे नंदी के दर्शन होंगे. इसलिए जब भी कोई भक्त भगवान शिव की पूजा करने के लिए शिवालय जाते हैं तो सबसे पहले मंदिर के बाहर शिवालय के द्वार पर उन्हें नंदी महाराज के दर्शन होते हैं. और यही कारण है कि उन्हें भगवान शिव का द्वारपाल भी माना जाता है.
हिंदी महल के आज के इस अंक में हम जानते हैं कि कैसे नंदी बने भगवान शिव के प्रिया गण, कैसे मिला उन्हें यह वरदान जिससे सबसे पहले होती है उनके दर्शन जब भी कोई आता है भोलेनाथ की दर्शन करने शिवालय.
Shiv Nandi Katha | नंदी कैसे बने भगवान भोले शंकर के प्रिय गण और वाहन.
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदी शिलाद ऋषि के पुत्र थे. शिलाद ऋषि ब्रह्मचारी व्रत का पालन करते-करते उनके मन एक भय बैठ गया कि बिना संतान उनकी मृत्यु के बाद उनका वंश समाप्त हो जाएगा. इसलिए, उन्होंने अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए एक बच्चा गोद लेने का मन बनाया. मन तो ऋषि शिलाद ने बना लिया, लेकिन दुविधा यह थी कि ऋषि ऐसे बालक को गोद लेना चाहते थे, जिस पर भगवान शिव की कृपा हो. इसके लिए उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पुत्र का आशीर्वाद दिया और वहां से चले गए.
अगले दिन जब ऋषि शिलाद खेत से गुजर रहे थे तो उन्हें एक नवजात शिशु मिला. ऋषि ने बच्चे के माता-पिता की खोज के लिए इधर-उधर देखने लगे तभी उन्हें आकाशवाणी हुए और भगवान शिव ने कहा कि यह तुम्हारा पुत्र है. ऋषि शिलाद ने उस बच्चे को अपने घर ले आए और बड़े ही प्रेम से उसका लालन-पालन करने लगे और संपूर्ण वेदों का ज्ञान दिया.
समय बहुत तेजी से बीतता गया और वह छोटा सा शिशु बड़ा हो गया. एक बार शिलाद ऋषि के आश्रम में दो दिव्य ऋषि आए जिसकी सेवा में नंदी ने कोई भी कसर नहीं छोड़ी नंदी के इस सेवा भाव को देखकर दोनों दिव्य ऋषि बहुत प्रसन्न हुए किन्तु उन्होंने लंबी उम्र का आशीर्वाद व वरदान शिलाद ऋषि को दिया नंदी को उन्होंने कोई भी किसी भी प्रकार का ना आशीर्वाद दिया और ना ही वरदान ही दिया ये देखकर ऋषि शिलाद ने इसका कारण जानना चाहा तो दोनों दिव्य ऋषि ने बताया कि नंदी अल्पायु हैं यह सुनकर शिलाद ऋषि बहुत दुखी हो गए. जब नंदी ने अपने पिता से उसके दुख का कारण पूछा तो शिलाद ऋषि ने दोनों दिव्य ऋषियों द्वारा बताई बात को नंदी को बता दिया इस बात को सुनकर नंदी हंसने लगे और बोले भगवान शिव ! मेरी रक्षा करेंगे.
इसके पश्चात नंदी ने भगवान शिव की कठोर तपस्या किया जिससे प्रसन्न होकर शिवजी नंदी के समक्ष प्रकट हुए तो नंदी ने कहा कि वो उम्र भर उनके सानिध्य में रहना चाहता है. भगवान शिव नंदी के समपर्ण से इतने प्रसन्न हुए कि नंदी को बैल का चेहरा देकर अपना वाहन बना लिया और अपने गण में शामिल कर लिया साथ ही ये आशीर्वाद भी दिया कि जहां उनका निवास होगा वहां नंदी भी होंगे.
– Disclaimer | डिसक्लेमर –
इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा (Hindimahal.com) उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही ले. इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी.