Akbar-Birbal Ki Kahani | बादशाह अकबर और बीरबल की नोक-झोंक की कहानी तो बहुत ही मशहूर है. बादशाह अकबर जो कि अपनी पहेलियां और कहानियों के लिए बहुत ही मशहूर हैं, क्योंकि पहेलियां पूछना और सुलझाना बहुत ही पसंद था. बादशाह अकबर के दरबार का ऐसा कोई दिन नहीं बिकता था जिस दिन कोई ना कोई पहेली के ऊपर चर्चा ना होती हो. बादशाह अकबर के दरबार के मंत्रियों में उनके सबसे प्रिय मंत्री थे बीरबल. लेकिन कभी-कभी उन दोनों की बीच में भी टकराव हो जाते थे, तो कभी बादशाह अकबर उन्हें नाराज होकर दरबार से निकाल देते और पता चलता कि बीरबल सही थे तो वे उन्हें वापस अपने दरबार में ले आते थे. तो कभी खुद बीरबल नाराज होकर चले जाते.
कभी कभी बीरबल दरबारियों की आदत से परेशान होकर तो कभी बादशाह अकबर के कारण से बिना किसी को कुछ बताये कहीं चले जाते और जब वे दरबार में एक दो दिन नहीं आते तो बादशाह अकबर उनको खोज करवाते. लेकिन जब बीरबल (Birbal Sories) नहीं मिलते तो बादशाह अकबर ऐसी युक्ति निकालते जिससे बीरबल को ढूढ़ने में आसानी हो जाती और वे मिल भी जाते थे तो. आज के हिंदी महल के इस अंक में हम जानेंगे, एक ऐसा ही प्रसंग जिसमें बीरबल को कहीं जाने पर उनको बादशाह अकबर ने ढूढ़ लिया.
Akbar-Birbal Ki Kahani – Birbal ki Khoj | बीरबल की खोज.
बीरबल कभी कभी दरबारियों की चुगलखोरी से परेशान होने से कुछ समय के लिए बीरबल अज्ञातवास में चले गए.बादशाह अकबर को उनके बिना अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए उन्होंने बीरबल की बहुत खोज कराई लेकिन अकबर बादशाह को बीरबल नहीं मिला किन्तु उनको भरोसा था कि बीरबल आसपास किसी गाँव में छिपकर रह रहा है पर कहाँ, यहीं तो पता नहीं चल रहा था कि आखिर बीरबल है कहां ?
बीरबल को खोजने की सभी कोशिश व्यर्थ हो गई तब बादशाह अकबर ने बीरबल की खोज के लिए एक तरकीब सूझी, क्योकि वे जानते थे कि बीरबल को उनकी बुद्धिमानी से ही खोजा जा सकता है इसलिए बादशाह अकबर ने अपने राज्य के सारे गांवों के पंचायती सदस्यता को हुक्म दिया कि वे एक निश्चित दिन आधी धूप और आधी छांव के साथ यमुना घाट के पास उपस्थित हो जाएं नहीं तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा.
सभी गांवों के प्रतिनिधि निश्चित दिन निश्चित स्थान पर पहुंच गए लेकिन सिर्फ गोकुलपुरा गांव पंचायत के सदस्य ही बादशाह अकबर के आदेश का पालन किया क्योकि वे लोग सिर पर खाट रखकर उनके समक्ष उपस्थित थे जिसके कारण वह आधी धूप और आधी छांव के साथ उपस्थित थे. यह सब देखकर बादशाह अकबर समझ गए कि बीरबल गोकुलपुरा में ही है लेकिन अपनी तसल्ली के लिए पुनः अकबर बादशाह गोकुलपुरा में एक नया आदेश भेजा कि महल के कुएं ने गोकुलपुरा गांव के कुओं को अपनी शाही दावत में आमंत्रित किया है इसलिए उस गांव के समस्त कुएं दावत में हाजिर हो.
गोकुलपुरा गांव की ओर से इस संदेश के जवाब में राजदरबार में संदेश पंहुचा ” गांव के सभी कुएं महल के कुओं के आमंत्रण से खुश हैं लेकिन वे चाहते हैं कि महल का कुआं खुद आकर उन्हें आमंत्रित करें तभी वे दावत में उपस्थित होंगे “. इस संदेश मिलते ही बादशाह अकबर को विश्वास हो गया कि बीरबल गोकुलपुरा में ही है फिर वे वहां गए और पंचायत के लोगों से मिलकर पता किया कि यह राय उनको किसने दिया है तब उनकी सहायता से बादशाह अकबर बीरबल तक पहुँच गए और उनको गले लगाकर कहा – बीरबल ! तुम कहीं भी छिप जाओ लेकिन तुम्हारी समझदारी नहीं छिप सकती….वह तुम्हारा भेद खोल ही देगी.
बीरबल बादशाह अकबर की बात को सुनकर मुस्कुरा दिए और वापस बादशाह अकबर के साथ लौट आए.