Dowry | आज भी हमारे समाज में दहेज प्रथा फल फूल रहा है दहेज न देने की वजह से न जाने कितनी लड़कियों की शादी नहीं हो पाती हैं लोगों के मानसिकता आज भी वहीं हैं लड़कियों के गुणों को न देखकर बल्कि धन दौलत की मांग की जाती है कहीं-कहीं तो शादी के मंडप में दहेज की अतिरिक्त मांग की जाती है और समाज में मान सम्मान की वजह से लड़की का पिता दहेज किसी भी तरह जूता ही देता है लेकिन कभी-कभी इसका उल्टा भी हो जाता है तो आज हिंदी महल. आप लोगों के लिए एक ऐसे ही प्रेरणादायक कहानी लेकर आया है उन लड़कियों के लिए जिनकी शादी में पहले तो काफी मोटी रकम दहेज के तौर पर दी जाती है फिर भी शादी के मंडप पर अतिरिक्त मांग भी की जाती है ऐसी स्थिति में हर लड़की का फर्ज यही कहता है कि ऐसे इंसान से शादी नहीं करना चाहिए जो दहेज का लोभी हो और समाज के बीच में दहेज की मांग करता हो.
श्रुति एक संस्कारी लड़की जो की सरकारी नौकरी करती थी और अपने पिता के तीन पुत्री में बीच की पुत्री थी किसी कारणवश उसकी एक बार सगाई टूट चुकी थी और अब उसकी शादी सुमित नाम लड़के के साथ तय हुई थी चुकी श्रुति के पिताजी सरकारी विद्यालय में बाबू के पद पर कार्यरत थे और वेअपनी बड़ी लड़की की शादी अच्छे संस्कारी परिवार में कर चुके थे और अब श्रुति की बारी थी श्रुति की शादी में भी उन्होंने अच्छा खासा दहेज और खर्च का इंतजाम कर रखा था किंतु इधर सुमित और भी दहेज की चाहत रखता था उसका और उसकी मम्मी ने योजना बनाया की शादी की कन्यादान के दौरान दहेज में श्रुति के पापा से मुंह मांगी रकम मांग लेंगे क्योंकि श्रुति की एक बार रिश्ता पहले ही टूट चुका था और यह मांग उनके लिए जन्म और मरण का सवाल हो जाएगा समाज के आगे अपनी मान सम्मान को बरकरार रखने के लिए उनकी मांगों को श्रुति के पापा को पूरा करना ही होगा.
समय आते श्रुति की शादी का दिन आ ही गया बड़े ही धूमधाम से शादी की सभी रस्में संपन्न की गई लेकिन जैसे ही कन्यादान का समय आया सुमित ने अपनी पूर्व योजना के अनुसार अपने दोस्तों के सामने अपनी शानो शौकत को दिखाने के लिए श्रुति के पिताजी से डिजायर कार और दस लाख की मांग कर दी. श्रुति ने जैसे ही यह सब सुना तो उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई उसकी कान फटे के फटे रह गए एक तरफ पिताजी की इज्जत दूसरी तरफ इतनी सारी दहेज की मांग क्या करें उसके सामने जीवन मृत्यु का प्रश्न खडां हुआ था और उधर सुमित एक तरफ खड़ा होकर कुटिल मुस्कान देते हुए अपने दोस्तों के बीच हंसी ठिठोली कर रहा था क्योंकि उसे पूरा विश्वास था कि श्रुति के पापा के पास मांग पूरी करने के अलावा कोई चारा नहीं है की तभी श्रुति दुल्हन के कपड़ों में बड़े ही आत्मविश्वास से उसकी ओर चलकर आई और बड़े जोर के शब्दों में बारातियों से बोला बारात वापस चली जाए मुझे ऐसे लड़के से शादी नहीं करना जो कि दहेज का भूखा लोभी और लालची हो, चाहे मुझे आजीवन कुंवारा ही क्यों न रहना पड़े श्रुति के इस तरह से कहे हुए बात को सुनकर उसके पिता चक्कर खाकर गिरने ही वाले थे कि उनको कमल ने संभाल लिया कमल उनकी बड़ी बेटी का देवर था और अच्छे ओहदे पर नौकरी कर रहा था. श्रुति के पिताजी को इस बात की चिंता थी कि एक बार बारात लौट जाने पर दोबारा उस लड़की की शादी नहीं होती कौन करेगा ऐसी लड़की से शादी जिसकी एक बार बारात लौट चुकी हो एक बार पुनः कोशिश किया जाए और दहेज की मांग को थोड़ा काम करवाया जाए लेकिन ना तो सुमित उनकी बात को माना और ना ही उसके परिवार वाले तब कमल ने श्रुति का हाथ पकड़ते हुए बोला कि यह मंडप सजा रहेगा और यहां फेरे भी होंगे श्रुति से विवाह मैं करूंगा बिना किसी लेनदेन के.
विवाह का मुहूर्त टला नहीं था इसलिए पंडित जी ने निर्देशानुसार फिर से शादी की रस्में कन्यादान और फेरें शुरू करवा दिए श्रुति भी बहुत खुश थी क्योंकि उसे कमल के रूप में एक ऐसा जीवनसाथी मिला जो दहेज का लोभी नहीं था और समाज के बीच में उसने उसके पिता के मान सम्मान की लाज रखी और इधर सुमित अपनी आंखों से सारा नजारा देख रहा था रुके या फिर जाए सारे बाराती उस पर थू थू कर रहे थे की नौकरी वाली लड़की मिल रही थी इसे ,धन का इतना लोभी. सुमित अपनी योजना को कामयाब ना होते हुए देखकर यही सोच रहा था ना तो वह घर का रहा और नहीं घाट का किंतु श्रुति को घर और वर दोनों ही मिल गए.