Story of Humanity | हम सभी अपने जीवन के रोजमर्रा में न जाने कितने फर्ज को निभाते हैं कुछ अपनों के लिए निभाते हैं तो कुछ अपने लिए निभाते हैं किंतु कभी-कभी जीवन में एक ऐसा पल भी आता है जब हमें किसी अनजान व अजनबी इंसान के लिए कुछ फर्ज निभाना पड़ता हैं और हमारा छोटा सा प्रयास या फिर इंसानियत का फर्ज उस अनजान व अजनबी के लिए एक तिनके का सहारा बन जाता है और उसकी जिंदगी में खुशियां लाता है आज हिंदी महल.. एक ऐसे ही कहानी लाया है जिसमें एक अनजान इंसान ने एक अजनबी इंसान की मदद करके इंसानियत का बहुत ही खूबसूरत फर्ज़ को दर्शाया.
आज कृष्णा बहुत ही जल्दी में अपने कपड़ों की फैक्ट्री जाने की वजह पहले बैंक गया क्योंकि आज उसे अपने कर्मचारी को महीने का तनख्वाह देनी थी इसलिए उसने सोचा की सबसे पहले बैंक जाकर वहां से पैसे लेकर फिर फैक्ट्री जाएगा और अपने कर्मचारियों को उसका मेहताना देगा वैसे कपड़े की फैक्ट्री उनके पिताजी ने शुरू किया था लेकिन किसी बीमारी की वजह से उनके पिता की मृत्यु हो जाने के कारण कृष्ण को महज 28 साल की उम्र में अपने पिता की छोड़ी हुई फैक्ट्री को और परिवार को संभालना पड़ा. कृष्ण के घर में उसकी मम्मी के अलावा उसकी एक छोटी बहन भी थी और वह तीनों बहुत ही सुखी और खुशी से अपनी जिंदगी को जी रहे थे कृष्ण काफी मेहनती और मिलनसार था अपने कर्मचारियों से हमेशा बड़े ही प्रेम भाव से बात किया करता था.
कृष्ण जैसे ही बैंक के अंदर घुसा कि उसे एक आवाज सुनाई दी कि बेटा यह फॉर्म थोड़ा भर दे मुझे पैसे निकालने हैं खाते से, कृष्ण ने पीछे मुड़ के देखा तो एक बहुत ही गरीब औरत जिसके कपड़े काफी मैले कुचैले और उलझे हुए बाल थे और वह बहुत ही दुखी और रो भी रही थी किंतु कृष्ण के पास समय नहीं था क्योंकि उसे जल्दी-जल्दी अपनी फैक्ट्री पहुंचना था इसलिए उसने कहा किसी और से भरवा लीजिए मेरे पास टाइम नहीं है और वह आगे बढ़कर अपने काम में लग गया लगभग 20 से 25 मिनट के बाद जब वह अपने काम से बाहर निकाला तो देखा वह महिला अभी भी औरों से निवेदन कर रही थी कि उसके फार्म को भर दिया जाए लेकिन इधर-उधर उसे कोई आदमी ना मिल रहा था नहीं ही औरत जो उसका फॉर्म भर सके… चुकी कृष्ण की भी अपनी मजबूरी थी इसलिए वह उस महिला को अनदेखा करते हुए बैंक के बाहर निकल गया.
कृष्ण जैसे ही बाहर आया और अपनी चार पहिया गाड़ी का दरवाजा खोलकर बैठते ही वाला था कि तभी उसकी नजर बैंक के बाहर बैठे एक गरीब आदमी पर गई जो दीवार का सहारा लिए एक यही कोई 5 साल के बच्चे के साथ बैठा था पास में एक डंडा रखा था और उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे पानी की बोतल से उस बच्चे के मुंह में वह पानी डाल रहा था न जाने कृष्ण ने क्या सोचकर उस आदमी के पास गया और बोला -आप ! क्यों रो रहे हैं और बैंक के बाहर क्यों बैठे हैं तब उसआदमी ने कहा – कि बेटा मेरी पत्नी अंदर गई है पैसे निकालना बहुत ही बुरा वक्त चल रहा है अभी तक नहीं आई है.रोते हुए वह आदमी अपने आंसू पहुंचने लगा तो कृष्ण ने पूछा यह बच्चा आपका है तो उसने दोबारा कहा- हाँ बेटा! इसे दिल की बीमारी है बहुत इलाज करवा रहे हैं सब बिक गया हमारा पर मेरा बेटा ठीक नहीं हो रहा है रात से तबीयत बहुत ही ज्यादा खराब हो गई है क्या करूं मैं अपने बच्चों को मारता हुआ नहीं देख सकता भगवान मुझे ले ले पर मेरे बच्चे को बचा ले. कृष्ण को समझते हुए देर नहीं लगा कि अंदर जो महिला है वह इस बच्चे की मां है.
कृष्ण इतना सुनकर तुरंत वह अंदर गया और उस बच्चे की मां से जो अभी भी हर किसी को अपना फार्म भरवाने को कह रही थी कृष्ण ने उसके हाथ से फॉर्म लिया पासबुक मांगी और जल्दी से फॉर्म को भर दिया और उसे महिला से कहा पैसे निकलवा लो आप और फिर कृष्ण ने उस महिला के पासबुक की फोटो खींची बाहर आया और चुपके से उस बच्चे और उस आदमी की भी एक फोटो ले ली और अपने गाड़ी के अंदर बैठ गया और उसी समय ट्विटर फेसबुक पर शेयर करते हुए यह लिखा कि – जितना हो सके आप लोग मदद कीजिए इस महिला का यह बैंक अकाउंट नंबर है इस पर भेज दीजिए यह बच्चा आप लोगों की मदद से बच सकता है.
आज वह बच्चा बिल्कुल ठीक है और वह महिला आज भी नहीं समझ सकी कि उसके खाते में इतने पैसे आए तो आए कहां से और कृष्ण ने उसे महिला का तिनके का सहारा देते हुए एक इंसानियत का फर्ज निभाया और उसे सहारे ने उस महिला के मासूम बच्चे को बचा लिया.
यह कहानी हमें यह सीख देती है कभी जीवन में मौका मिले तो इंसानियत का फर्ज अवश्य निभाना चाहिए चाहे वह किसी अनजान या फिर अजनबी इंसान के लिए क्यों ना हो हमारी की गई थोड़ी सी कोशिश किसी के जीने का और खुशियों का वजह बन सकता है.