Akbar-Birbal Ki Kahani : बादशाह अकबर के दरबारियों में बीरबल एक ऐसे दरबारी थे जो केवल सिर्फ बादशाह को सही सलाह ही नहीं दिया करते जबकि वे अपने अंदाज में बादशाह की गलती को बताने से भी नही चूकते इसके अलावा वे जनता की किसी भी तरह की कोई भी समस्या क्यों न हो उसको भी निवारण किया करते थे ऐसे ही एक बार राज दरबार का सेवक एक ऐसी समस्या में फंस गया जिसमें उसकी जान जाने का खतरा था.
तो आज हिंदी महल के इस अंक में हम पढ़ेंगे, महल बादशाह अकबर और बीरबल के प्रसंग से जुड़ा एक ऐसी कहानी जिसमें बीरबल ने अपनी सूझबूझ और बुद्धिमानी से किसी सेवक की न केवल जान ही बचाई बल्कि बादशाह अकबर को उनकी गलती का भी एहसास कराया.
Akbar-Birbal Ki Kahani : बादशाह अकबर और बीरबल की कहानी – बादशाह का तोता.
एक बार दरबार में एक व्यक्ति तोता बेचने आया उसके पास वैसे तो पांच तोते थे किंतु एक तोता बहुत ही अच्छी नस्ल का था जो बोलता भी बहुत अच्छा था.अकबर बादशाह को वह तोता पसन्द आ गया और उसको उन्होंने खरीद लिया. तोता को खरीदने के बाद बादशाह ने उस तोते की सेवा के लिए एक सेवक को नियुक्त किया और उस सेवक का काम केवल तोते की देखभाल करने का था पर बादशाह अकबर ने उस सेवक को सख्त चेतावनी दिया था कि अगर कोई भी असावधानी बरती गई तो उसको मृत्युदंड की सजा मिलेगी.
सेवक उस तोते की अच्छे से देखभाल करता ऐसे होते होते कई दिन ठीक ठाक से बीत गए लेकिन कुछ दिनों के बाद अचानक तोता मर गया.तोते के मरने से सेवक की जान आफत में आ गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि तोते के मरने की सूचना कैसे बादशाह अकबर को दे और किस तरह से अपनी जान को भी बचाएं.उसे जब कोई उपाय नहीं समझ आया तो उसने बीरबल की सहायता लिया.बीरबल उस सेवक की बातों को ध्यान से सुनने के बाद उसको सांत्वना दी और उसे निश्चित करके वापस भेज दिया और खुद बादशाह को इसकी सूचना देने की जिम्मेदारी ले लिया.
इसके बाद बीरबल बादशाह अकबर के पास जाकर बोला – ” हुजूर ! आपका तोता…यह सुनकर बादशाह अकबर उतावले हो उठे और बोले – ” क्या हुआ मेरे तोते को, कहीं मर तो नहीं गया बादशाह अकबर की इस बैचैन से सवाल को सुनकर बीरबल ने बड़े ही धैर्य से बताते हुए बोले “नहीं हुजूर ! आपके तोते से समाधि लगा ली है.. वह न खा रहा है न ही जल पी रहा और न ही हिलडुल रहा है बस केवल आंखे बंद करके समाधि में लीन है ” बीरबल के इस तरह से कहे जाने वाले बातों को सुनकर बादशाह अकबर को समझ में कुछ नही आ रहा था कि आखिर माजरा क्या है इसलिए वह स्वयं तोता को देखने जाने की इच्छा को जाहिर किया.
बादशाह अकबर जब उस सेवक के घर को पंहुचकर देखा कि तोता तो मर चुका है यह देखने पर बीरबल को नाराजगी अंदाज में बोले – ” इतना घुमा फिरा कर क्यो कहा, सीधे तौर पर कह देते कि तोता मर गया है ” बादशाह के ऐसा बोलने पर बीरबल ने बड़े ही नम्रतापूर्वक कहा कि – हुजूर !
तोते के मरने का समाचार देने पर आप मृत्युदंड की सजा दे सकते थे इसीलिए मुझे इस प्रकार से कहना पड़ा. बादशाह अकबर को अपनी कहीं बात याद आ गई जो उन्होंने तोते के संदर्भ में सेवक से कही थी वह ये भी समझ गए कि बीरबल ने इस तरह से सूचना देकर तोते की देखभाल करने वाले सेवक की जान बचाई. बादशाह अकबर ने उस सेवक को माफ करते हुए उसको मृत्युदंड की सजा से बरी कर दिया.